ज्ञान और ताप से अर्जित अहंकार, फिर बल, सत्ता और प्रभुत्व की आस, छोड़ गया रे तेरा विवेक तुझे, रावण, यह... ज्ञान और ताप से अर्जित अहंकार, फिर बल, सत्ता और प्रभुत्व की आस, छोड़ गया रे तेरा ...
ये सबका जीवन हैं निखारते ज्यों भोजन स्वाद निखारें मसाले। ये सबका जीवन हैं निखारते ज्यों भोजन स्वाद निखारें मसाले।
उसकी मर्जी ही सर्वश्रेष्ठ है जिसको परमात्मा बोलते है उसकी मर्जी ही सर्वश्रेष्ठ है जिसको परमात्मा बोलते है
दुख नहीं था, हैरानी नहीं थी चिंता नहीं, परेशानी नहीं थी दुख नहीं था, हैरानी नहीं थी चिंता नहीं, परेशानी नहीं थी
घर पर सब ठीक था, मगर यहां वो थी पराई वो बहू क्या बनी, फिर बेटी ना बन पाई घर पर सब ठीक था, मगर यहां वो थी पराई वो बहू क्या बनी, फिर बेटी ना बन पाई
भेद- भाव की भावना को दूर भागते हैं चलो मिलकर होली मानते हैं। भेद- भाव की भावना को दूर भागते हैं चलो मिलकर होली मानते हैं।